Sunday, October 27, 2013

मेरे चित्र मेरे शब्द .........
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''मैं  ओर सिर्फ मैं''
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आंखे जब खुली हो
तो मन के दरवाजे
बंद क्यों हो जाते हैं

शायद आँखे आस पास

के बिम्बों में
उलझ सी जाती हैं
वास्तविकता से दूर हो जाती हैं
क्या देखना चाहती हैं
ओर क्या देखने लग जाती हैं

इसलिए कुछ देर

यूँ ही बेठी हूँ खुद के साथ
आँखे बंद करके
क्युकी खुद को देखना चाहती हूँ

खुद अपनी नजरो से

उन मापदंडो से नही
जो लोगो ने दिए हैं मुझे

खुली आँखों से तो

सूरज भी आँखों में चुभता हैं
चुभन नही रौशनी चाहिए
इसलिए मन का सूरज
रोशन कर रही हूँ

जब अंधकार भीतर हैं

तो सूरज भी भीतर ही
रोशन करना होगा ................savita agarwal
.....painting is my own copyrite .........

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