Saturday, January 30, 2016

ऐसा  नही की मुझकों तुझसे जरा भी प्यार नहीं
पर जिंदगी सिर्फ कोई जीत और हार नहीं 
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हर चीज को हमने बिकते हुए बाजार में देखा
पर रिश्तें होते  हैं अनमोल कोई व्यापार नहीं
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माना कि खुदगर्जी के हाथों में तेज़ तलवार हैं
पर काटे प्रेम को इसमें अभी वों आयी धार नहीं
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मिली है हमे कुछ साँसे कर गुज़रने के लियें
पर गुजार दूँ शिकवों में  इतने भी बेजार नहीं
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एक रोज मौत हौले से दस्तक दे  देगी हमको
पर कह कहाँ  पाएंगे उसको हम अभी तैयार नहीं
......................................शब्द सरिता -सविता 








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