Thursday, January 28, 2016

ऐ!सितारों
गूंज कर चटको
और फिर बिखर जाओ
इस खामोश रात मे
खातिर चाँद के
कुछ तो शोर मचाओ
मचाओ शोर इतना
कि बिजलियाँ भी
सिहर जाये
नीद के सिरहाने
रख छोङी
गठरी ख्वाबो की
बिखर जाये
हर टूटे ख्वाब के
एक एक जर्रे मे तुम
आफताब नया पाओ
गूंज कर चटको
और फिर बिखर जाओ.....

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