Saturday, January 30, 2016

तस्वुर ऐ तस्वीर और
बहते रंगो का जलजला
हर्फ हर्फ था रो पङा 
जब ख्याल कोई जला.......
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न एहतराम वादो का रहा
न एतबार यादो का रहा
शिकायत न रही किसी से
न ही खुद से रहा मुझे गिला.......
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हर्फ हर्फ रो था पङा
जब ख्याल कोई जला.....
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उठ था  जब यकीं का धुआं 
तस्सवुर इबादत करता रहा 
फिर रूबरू हम तुझ से हुए 
ख़ाक में वो तस्सवुर मिला .......
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हर्फ हर्फ रो था पङा
जब ख्याल कोई जला...
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.......................शब्द सरिता-सविता  

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