Tuesday, February 16, 2016

एक कहानी .........
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*******खनक-चूड़ी की**** 
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आज फिर अराधना कसमसा कर रह गयी जब रानी का फोन आया कि मेमसाब मै आज नही आऊँगी ।तीन चार रोज पहले भी जब वो छुट्टी के बाद आयी थी तो कहां अराधना ने उसे काम करने दिया था ।हाथ पर पट्टी देख जब रानी से सवाल किया तो बोली चूडी पहनते वक्त हाथ कट गया।बात सिर्फ तीन चार रोज पहले की नही थी ,ये सिलसिला तो कई महिनो से चल रहा था ।तकलीफ अराधना को बस इसी बात की थी। तभी डस्टिग करते वक्त अलमारी पर से गिर कर उसकी डायरी उसके सामने आ गयी।डायरी देख अचानक उसे याद आ गयी अपनी ही कही बात कि "काँच की चुडियाँ असानी से मुड़ती नही चाहे टूट भी जाये तभी तो आत्मविश्वाश की खनक से वो हरदम खनकती है। " सहसा ही अराधना ने पर्स उठाया और निकल पडी रानी के घर की तरफ ताकि रानी को भी उसकी चुडियो की खनक सुना सके।.... 
........सही भी तो है खनक चूड़ी की दिखायी कहाँ देती है ये तो बस सुनायी देती है।
............शब्द सरिता-सविता

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