Thursday, February 25, 2016

कल्पना हूँ मै गर यथार्थ मे मुझे डूबो दोगे 
हाँ! पा लोगे मुझे पर मुझे ही तुम खो दोगे

धरा के अन्तर्मन मे भी पनपता बीज कोई
गर बादलो स्नेह से अपने तुम उसे भिगो दोगे..
...........शब्द सरिता-सविता

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