शब्द सरिता (सविता)
Thursday, February 25, 2016
न जाने कैसा ये अजीब अहसास है...
शायद वक्त का पहलू कोई खास है..
गुलशने खुशबूं क्यों गैर सी है आयी...
टूटे तितली के पंख गुल बदहवास है ।।
.......................शब्द सरिता-सविता
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment