हाँ...ऐ!वक्त
दफन कर
चुकी हूँ मै
इस साथ के
अहसास को ....
माना कि राह मे
दूर तलक
निशां लहू के
नजर आयेगे
पर अब निकाल
चुकी हूँ मै
पैरो मे चुभती
फांस को .......
दफन कर
चुकी हूँ मै
इस साथ के
अहसास को ......
अब भले ही
धडकने ये
यादो की धोंकनी
पर झोक दे
मेरी हर सांस को......
दफन कर
चुकी हूँ मै
इस साथ के
अहसास को......
..........शब्द सरिता-सविता
दफन कर
चुकी हूँ मै
इस साथ के
अहसास को ....
माना कि राह मे
दूर तलक
निशां लहू के
नजर आयेगे
पर अब निकाल
चुकी हूँ मै
पैरो मे चुभती
फांस को .......
दफन कर
चुकी हूँ मै
इस साथ के
अहसास को ......
अब भले ही
धडकने ये
यादो की धोंकनी
पर झोक दे
मेरी हर सांस को......
दफन कर
चुकी हूँ मै
इस साथ के
अहसास को......
..........शब्द सरिता-सविता
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